दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, June 6, 2007

टाइटल सुझाओ ना !

आइज़ेंस्टाइन 1928

10 comments:

ghughutibasuti said...

यह मैं क्या देख रहा हूँ !
नहीं, यह नहीं हो सकता !
घुघूती बासूती

VIMAL VERMA said...

शीषर्क;" रंग चोखा तो लग रहा है"

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

बस , आज से एडिटिंग- फॆडिटिंग ..सब बन्द. बस

अरविन्द चतुर्वेदी, भारतीयम्

Udan Tashtari said...

क्या देखूँ, क्या याद करुँ.

Sanjeet Tripathi said...

लो कल्लो बात , हो गया ना लोचा।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

तो यहाँ से कहानी मेँ ट्वीस्ट आता हैइ ह्म्म्म्म्म्`

Rising Rahul said...

"कौन सा कमेंट मिलेगा ? "
चलिए , आपको भी कमेंट मिलने लगे . अच्छा है . धीमे धीमे सारी ट्रिक सीख जाएँगे !

मुनीश ( munish ) said...

...inke mamu Bhopal ke moti bazaar me koi durzee the kya?

इरफ़ान said...

I dont mind if you are still in Bhopal Muneesh!

vikas said...

reel life