दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, October 3, 2007

बंदर चढ़ा है पेड़ पर करता टिली-लिली...




सुनिये दिनेश कुमार शुक्ल की एक और कविता. दिनेश जी की एक कविता आप यहां पहले भी सुन चुके हैं।

बंदर चढ़ा है पेड़ पर करता टिली-लिली...

यहां प्ले को चटकाएं और कविता सुनें.

4 comments:

Udan Tashtari said...

:) सुन लिया. आभार.

बोधिसत्व said...

अच्छा है आपको सुन कर बहुत कुछ याद आया....आलोचना की कविताएँ दिल जलाने वाली है....बहुतों को दहलानेवाली हैं..

मुनीश ( munish ) said...

mast item hai sir ji!!

kapil said...

मस्त कविता है सर जी | बहुत दिनों के बाद ऐसी कविता सुनने को मिली है |