दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Thursday, May 8, 2008

नौकरी मिली है तनख्वाह नहीं !


मेरे साथी रेडियो जॉकी रवि उतने ही अच्छे हैं, जितना मैं. यह बात हम एक दूसरे की तारीफ़ करते हुए जान पाए. एफ़एम शोज़ करने के अलावा वो शायद मार्केटिंगवालों को मोटिवेट भी करने का कारोबार करते हैं. मेरी उनसे नज़दीकी की वजह ये भी है की वो उन दुर्लभ लोगों में हैं जो किसी विषय पर ठहर कर बात कर सकते है. आज उनका फ़ोन आया कि उन्होंने पिछले कुछ महीनों से एक ब्लॉग शुरू किया है जिसमें वो फिल्मों और आम ज़िंदगी के बीच आते जाते मुहावरों और चुस्त फिकरों की ख़बर रखेंगे। यहाँ वो न सिर्फ़ इन फिकरों की फेहरिस्त बनाएँगे बल्कि ज़रूरी संदर्भों और अपनी समझ से भी इन पोस्टों को सजाएँगे। मैं अभी एक सरसरी नज़र डालकर आया हूँ आप भी जाइये. ब्लॉग का नाम है-
मेरे दोस्त बीडियों पर उतर आए हैं

3 comments:

मुनीश ( munish ) said...

nice name n y not ? i think beedi is far more lungs friendly stuff than cigarettes and it is the final test point for heroic persona. Amitabh became a superstar after Deevar 'cos he looked cool even while puffing a beedi. hypocrisy makes us smoke cigarettes and i vote for beedi . next time we meet let's try beedis . i have tried them n they r superb. B for beedi >>>YO!!

दीपक said...

आप बताये हम ना जाये हो नही सकता !!

डॉ .अनुराग said...

jaroor nigah dalege saheb..