दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Saturday, March 21, 2015

मोहम्मद यूसुफ़ पापा-2

मेरे गीत चटपटे छोले हैं
मेरे गीत चटपटे छोले हैं

ये हरे खेत के चुने हुए
ये भड़भूजे के भुने हुए
हल्दी से रंगे ये पीले हैं
ये चितकबरे और धौले हैं

मेरे गीत चटपटे छोले हैं

मेरे गीतों में झनकार भी है
आदर्श भी है ललकार भी है
गुंजार भी है महकार भी है
कुछ रूप भी है आकार भी है
मेरे गीत सत्य ही बोले हैं

मेरे गीत चटपटे छोले हैं

मेरे गीतों में आसानी है
मेरे गीत भैंस की सानी हैं
शरबत हैं, मीठा पानी हैं
इनमें इस क़दर रवानी है
ये ठोस भी हैं और पोले हैं

मेरे गीत चटपटे छोले हैं

मेरे गीत दूध के धोए हैं
इनमें क़हक़हे समोए हैं
जो शब्द गीत में बोए हैं
मोती की तरह पिरोए हैं
ये सबके लिये हिंडोले हैं

मेरे गीत चटपटे छोले हैं

मेरे गीत में सुर है ताल भी है
आकाश भी है पाताल भी है
मंसूरी नैनीताल भी है
इकताल भी है झपताल भी है
ये कानों में रस घोले हैं

मेरे गीत चटपटे छोले हैं.

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